मनुष्य विधाता की सर्वोत्तम रचना है। शिक्षा मनुष्य को शिक्षित और संस्कारवान तो बनाती है, साथ ही ज्ञान के विविध क्षितिज भी खोलती है। स्वामी विवेकानन्द के अनुसार- ‘‘मनुष्य में पूर्व से विद्यमान संपूर्णताओं को बाहर लाना ही शिक्षा है।’’ अतः शिक्षा मानव जीवन के विकास से अभिन्न रुप से जुड़ी है। किसी भी देश की प्रगति सभ्य, सुसंस्कृत और शिक्षित लोगों के बिना संभव नही है और यह शिक्षा से ही संभव है। यह अत्यंत गौरव की बात है कि शासकीय लाहिड़ी महाविद्यालय चिरमिरी 1953 से स्थापित न सिर्फ इस क्षेत्र का प्राचीनतम महाविद्यालय है और अपनी विकास यात्रा के विभिन्न सोपानों से निकलकर शैक्षणिक गुणवत्ता की दृष्टि से अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुका है। निश्चय ही इसमें महाविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी के लगन एवं कठिन परिश्रम का योगदान है। अध्ययन के साथ क्रीड़ा, साहित्य एवं सांस्कृतिक गतिविधियों ने विद्यार्थियों का चहुँमुखी विकास किया है। अनुशासित वातावरण एवं रैंगिग शून्यता के वातावरण में महाविद्यालय निरन्तर उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। अनुभवी एवं योग्य प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन से अब तक महाविद्यालय के सभी संकायों का परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट रहा है। इस प्रगतिस्पर्धा के युग में छात्र/छात्राओं को सफल होने के लिए विभिन्न क्षेत्रों/विषयों के विशेषज्ञों द्वारा कैरियर मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। सभी संकायों में परिषदों का गठन कर छात्र/छात्राओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है। बी.सी.ए. का नवीनतम पाठ्यक्रम भी सत्र 2016-17 से शुरु किया गया है। नवीन भवन में आधारभूत सुविधाओं सहित आधुनिक प्रयोगशाला, स्मार्ट क्लासरुम, विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीक से अध्ययन कर रहे हैं। सी.सी.टी.वी. कैमरे से निरन्तर अनावश्यक होने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण के साथ एक सुरक्षित वातावरण विद्यार्थियों को प्रदान किया जा रहा है। हमारा यह प्रयत्न रहेगा कि महाविद्यालय का सर्वांगीण विकास हो, हम इसे एक परिवार की तरह सजाने संवारने में लगे हैं और मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि हम महाविद्यालय के चहुँमुखी विकास एवं नई ऊचाइयों तक पहुँचाने में निश्चय ही कामयाब होंगे।
– डॉ आरती तिवारी